अमरावती में हो रहे आदिवासी समाज द्वारा आंदोलन को लेकर हम कई बार आर्टिकल लिख चुके हैं, और हम फिर भी और लिख रहे हैं, क्योंकि लिखने की जरूरत है, आपको बता दे कि करीब 18- 19 दिन का समय बीत चुका है, और फिर भी आदिवासी समाज के लोग अमरावती जिले के जिला कलेक्टर ऑफिस के पास में, अभी भी आंदोलन कर रहे हैं, यह आंदोलन 21 दिसंबर 2023 से चल रहा है, और आज तारीख 8-1-2024 का समय है पुराने से नया साल के दौर में आ गए, हम लेकिन फिर भी यह जो आंदोलन है, यह आंदोलन अभी तक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
हम आपको अपडेट दे दे कि आंदोलन किस वजह से चल रहा है, कोली समाज खुद को आदिवासी मानकर आदिवासीयो की कास्ट सर्टिफिकेट की मांग करता है, ऐसा हुआ है, कई जगह जहां पर उन्हें ,अधिकारियों द्वारा आदिवासियों के कास्ट सर्टिफिकेट मिले हैं, आदिवासी समाज को इसका सबसे बड़ा विरोध है, और इसीलिए आंदोलन हो रहा है आदिवासी समाज की मांग है, कि पिछले जो कास्ट सर्टिफिकेट कोली समाज को मिले हैं, कोली समाज ने आमरण उपोषण किया, और प्रशासन सरकार पर दबाव लाकर उन्होंने जबरदस्ती यह कास्ट सर्टिफिकेट हासिल किए हैं।
आंदोलनकारी में से कई आंदोलनकारी बीमार हो गए, और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और आपको बता दे, कि जिस स्थल पर आंदोलन हो रहा है, वहां पर कोई भी बिजली की सुविधा नहीं है, अंधेरे में आंदोलनकारी सोते हैं, और अभी तक करीब 18- 19 दिन का समय बिता चुके हैं, इसके बावजूद शासन प्रशासन पर कोई असर नहीं दिखाई पड़ता है।
पिछले 29 दिसंबर 2023 को आदिवासी समाज द्वारा अर्धनग्न आंदोलन कर रैली निकाली गई थी, और आयुक्त कार्यालय पहुंची थी, और वहां पर अर्जुन यूवनाते ने अधिकारी को ज्ञापन सौपा था, उसके बावजूद भी उसके 8-9 दिन हो चुके हैं।
अगर आप दूर से देखते हैं, तो आपको हर समाज हर आदिवासी आपको खुशहाल नजर आता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है, कि खुद के अधिकार के लिए उन्हें आंदोलन करना पड़ता है, सरकार को इसके लिए बताया जाता है, लेकिन सरकार द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
आदिवासी के कई नेता है, जैसे कि विधायक सांसद लेकिन आंदोलनकरियों द्वारा कहा जाता है, कि आज तक कोई नेता यहां पर आया नहीं, उनका यह भी कहना है, कि नेता सिर्फ जीत कर अपनी जनता को भूल जाते हैं फिर आदिवासी समाज को ऐसे आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है, और आंदोलन भी कई समय तक होता है, लेकिन कई जगह कोई फर्क नजर नहीं आता।
आंदोलनकारी द्वारा यह भी कहा जाता है, कि आने वाले समय में जब चुनाव होगा, तो ऐसे नेताओं को वोट नहीं दिया जाएगा, और यह बात सही भी है, की कई बार आदिवासी समाज की आवाज दब कर रह जाती है, और न्याय नहीं मिलता खुद की अधिकार के लिए आंदोलन करना पड़ता है, फिर भी कोई असर नहीं होता, 2024 का चुनाव में कुछ अलग होने की संभावना है, आदिवासी समाज किस और बढ़ता है, यह आने वाला समय बताएगा।