Postmoratm Scam: आम आदमी की अभिव्यक्ति आजादी पर भी शख्ती बरताने वाला कानून पोस्टमार्टम घोटाले के दोषियों के प्रति क्यों सदमे में है। पीड़ित परिवार सिस्टम के आगे लाचार और शर्मसार है। 8 माह के अंतराल में 17 वर्षीय बेटा 15 वर्षीय बेटी का जनाजा पिता के कंधे का बोझ बना बेटे के चिता को पिता ने अग्नि दिया तारीख 13/12/2020
बेटे का नाम साहिल उम्र 17 वर्ष बेटी का नाम कुमारी वैष्णवी उम्र 15 वर्ष 25/08/2021 साहिल हस्ता खेलता अस्पताल गया तारीख 13/12/2020 को कफ़न में लपेटकर घर आया सरकारी जिला अस्पताल अमरावती महाराष्ट्र जिनके रहमों कर्मों पर इंसान जीवित घर लौटता है। उस अस्पताल में वे मासूम जिंदगी या सिसकी भरती जो पीड़ित शोषित दरिद्र अंत्योदय परिवार से संबंधित है।
घर लौटा तो समाज के बागियों में खिलता वरना दीवार पर टंगी तस्वीर में कैद हो जाता है। कारण मासूमों की अकाली मौतों पर यह न कोई सुनवाई न संशोधन फर्जी दस्तावेज आधार इंसाफ की गुहार यहां बेवकूफी का प्रमाण बन जाती। पीड़ित पक्ष बड़ी ताकतों के आगे क्षीण हो जाता उम्र बीत जाती इंसाफ के तराजू का तोल माप करने में, घटित प्रकार पीड़ित परतवाड़ा निवासी पुड़के के परिवार ने बयान किया है।
राज्य में सिकल सेल सप्ताह चल रहा था तारीख 12/12/20 की रात भर साहिल वार्ड क्रमांक 6 में नर्स से जिंदगी की भीख मांग रहा था। मैडम डॉक्टर को बुलाओ मेरे प्राण बचाओ रात के 11:00 बजे उसे नारकोटिक ट्रामाडोल दिया जो श्वसन क्रिया को प्रभावित करता उसके बाद दोनों श्वासन नलिका में डॉक्टर ने कपास ठूस ठूस कर भर दिया कारण था नाक से हो रहा रक्त बहाव रोकना।
किसी प्रकार की जांच एक्सरे सीटी स्कैन नहीं किया अगला दिन रविवार छुट्टी का होने से यह कपास सोमवार को 48 घंटे के बाद निकालने का फैसला लिया गया साहिल सिकल बिटा थलेसिमिया का मरीज था हीमोग्लोबिन 4.4 था स्वयं रक्त लेने गया था। ऐसे में नेज़ल पैकिंग साहिल का अर्थात उसे मृत्युदंड देना ही साबित हुआ। उसे आईसीयू की देखरेख में रखने के बजाय वार्ड क्रमांक 6 में मृत्यु तक तड़पता छोड़कर डॉक्टर चले गए वह बेखोफ थे कारण सिकल सेल का मरीज किसी भी कारण से मरे सामाजिक यंत्रना खामोश हो जाती उस पर आपत्ति संशोधन नहीं होता
डॉक्टर यह जानते हैं कि सिकल सेल के मरीज की ऑक्सीजन मात्रा कम होने से वह पेनफुल क्राइसिस में जाता। शक्तिहीन हो जाता नेजल पैकिंग के बाद रक्त मुंह से बाहर आ रहा था मुंह से सांस लेना और खून के कुल्ले थूकना खून सीने और पेट में जा रहा था, 1 घंटे के बाद वह निरंतर बेदम खास रहा था, सासो में खर्राटे भर रहा था, सांसे अटक-अटक कर चल रही थी, वह नर्स से बार-बार विनती कर रहा था, गिड़ गिड़ा रहा था, जिंदगी की भीख मांग रहा था। डॉक्टर को बुलाओ मेरे प्राण बचाओ की गुहार लगा रहा था
बेरहमी की हदे पार. उस अस्पताल में जिंदगी की कीमत कितनी? दया याचना विनती की गुहार रात के सन्नाटे में गूंज रही थी। और मानवता शर्मसार हो रही थी। वह विनती कर रहा था नर्स मौत का तांडव देख रही थी ऑक्सीजन की कमी से धड़कने तेज हो गई थी वह हाफ रहा था हार्टबीट प्रचंड तेज था 10 फीट की दूरी के केबिन में बैठकर नर्स वह पीड़ा का नजारा देख रही थी अनदेखा कर रही थी और कह रही थी कि अब डॉक्टर सुबह ही आएंगे वह हर सांस आस पर ले रहा था
सुबह होने का निरंतर इंतजार कर रहा था बार-बार घड़ियाल को देख रहा था। वह जिंदगी मौत की जंग लड़ रहा था। सुबह के 5:00 बजे अंतिम बार डॉक्टर को बुलाने की प्रार्थना कर रहा था। परंतु नर्स ने निष्ठुरता की सीमा लांघी थी। सुबह करीब थी। पर हौसला कमजोर हो गया था। सारी रात बेदम खासते हाफ्ते जिंदगी की वह जंग लड़ रहा था। अंत ना उम्मीद होकर साहिल ने पिता को गोद में लेने कहा उनके सीने पर गर्दन टिकाकर नर्स की ओर देखते कहने लगा बाबा क्या मेरे मरने के बाद ही डॉक्टर आएंगे।
मैं नहीं बच पाऊंगा, मेरा सीना खत्म हुआ, कही और ले चलो, माता-पिता आर्थिक मजबूर थे आर्थि उठाने तक जेब में पैसे नहीं थे, साहिल ने पिता से कहा बाबा मेरी पप्पी लो पिता ने कहा साहिल मैंने बचपन से तुझे प्यार दिया। उसने जीद की पिता ने पप्पी ली तत्काल मुंह से झांक के फव्वारे उड़ने लगे उसने चंद सेकंड में प्राण त्याग दिया नर्स ने डॉक्टर को कॉल किया डॉक्टर आए सिलेंडर बुलाया मृतक साहिल की मुंह पर ऑक्सीजन लगाकर मोबाइल रिकॉर्डिंग फोटोग्राफ्स किया नर्स के केबिन में बैठकर दस्तावेज 15 मिनट लिखे गए पीड़ित की पत्नी सुध खो गई
पीड़ित ने नर्स को बुलाया उनके हाथ में दो फार्म थे। पीड़ित से प्रथम से प्रथम दस्तगत करवाए गए। पीड़ित पिता के समझ में नहीं आ रहा था परंतु कार्यरत नर्स और डॉक्टर कानूनी दाव पेच से अभ्यस्थ थे, पीड़ित को उस वक्त बगैर दस्तावेज दिए आरोग्य विभाग के मित्र द्वारा एंबुलेंस का किराया देकर मूर्छित पत्नी और मरा हुआ बेटा सोप कर घर भेज दिया गया। पेपर ठीक 16 महीने के बाद दिए गए, ठीक 8 माह के बाद बेटी कुमारी वैष्णवी की मौत प्राइवेट अस्पताल में हुई इसके दस्तावेज भी नहीं दिए गए
पीएम इसी जिला अस्पताल अमरावती में हुआ आज तक विशेरा का रिपोर्ट इस अस्पताल से प्राप्त नहीं हुआ। कारण विशेरा फॉरेंसिक में भेजा ही नहीं गया। पोस्टमार्टम घोटाला तथा बेटे के 16 महा बाद प्राप्त फर्जी दस्तावेज दिए गए। जिसमें 50 मिनट तक साहिल को इमरजेंसी इंजेक्शन एड्रानलिंस दिए गए। ऐसा दस्तावेज रिकॉर्ड पर लिखा गया। भारत के इतिहास में पहली घटना है कि अस्पताल के दस्तावेज सीसी टीवी फूटेज मेडिकल बिल लाइव पीएम रिकॉर्डिंग विशेरा रिपोर्ट प्राप्त करने एक मां को अन्न त्याग आंदोलन पर SDO कार्यालय अचलपुर के सामने बैठना पड़ा
मंत्रियों के हस्तक्षेप भी हुए वादे आश्वासन सभी फेल हुए आज तक सबूत पीड़ित पक्ष को नहीं दिए गए विशेरा नष्ट किया गया इंसाफ की गुहार लेकर पीड़ित पक्ष ने एसडीओ कार्यालय, से लेकर राष्ट्रपति महोदय, मानव अधिकार, हाईकोर्ट, तक शिकायत की, 3 साल से आर्थिक मानसिक जख्म झेलता पीड़ित कमजोर हो गया। आरोपी पर अभी तक FIR नहीं लिखी गई पद पैसा प्रतिष्ठा के दम पर सत्यमेव जयते प्रभावित हो रहा है।
परंतु पीड़ित का हौसला अब भी मजबूत है। वह अपनी और पत्नी के एक किडनी बेचकर भी वकील की फीस चुकाना चाहता है। उन्होंने बताया यह मामला उजागर नहीं हुआ तो अपराधिक मनोबल बढ़ेगा समाज के कहीं साहिल और वैष्णवी के मौत के रहस्य सिर्फ रहस्य ही रहेंगे वे अपेक्षित अब समझ से है मदद के लिए वह फोन नंबर इसी लेख में दे रहे हैं, संवेदनशील समाज सामाजिक संस्था को आगे आने की जरूरत है।
पीड़ित पक्ष की ना तो प्रतिशोध की भावना है और ना तो डॉक्टर के प्रति कमजोर श्रद्धा है, किसी भी इंसाफ से उनके बच्चे लौटकर इस दुनिया में नहीं आएंगे केवल यह संघर्ष अगली पीढ़ी को सुरक्षित करने का है डॉक्टर समाज का एक विश्वास पात्र अंग है, और वह रहे। किसी ऐसे डॉक्टर के कारण वह सम्पूर्ण डॉक्टर बदनाम ना हो। उनका विश्वास सदैव अमर रहे इसी भावना और श्रद्धा से प्रस्तुत है।
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