कमल नारायण ऊईके ने अर्धनग्ण आंदोलन को लेकर कहा:- मैं प्राध्यापक कमल नारायण ऊईके, जिल्ला संगठक बिरसा क्रांति दल अमरावती, आज जो हम इस इस चीज के लिए इकट्ठा हुए थे, ताकि बीते कुछ दिनों से अमरावती कलेक्टर ऑफिस के नजदीक यह ठिया आंदोलन शुरू है, लोग रोज हमारे आदिवासी समाज के लोग यहां एकजुट होते हैं, और यहां दिन भर जो ऑफिस का समय है उस समय में यहां ठिया लगाकर बैठते हैं, उनकी जो मांगे हैं उनके बारे में दिनेश भैया ने अभी बताया है, हम सरकार से यही गुजारिश करते हैं, कि यह जो महाराष्ट्र है महाराष्ट्र में 45 आदिवासी जनजातियां है।
तो उनमें से जो कोली है जैसे कि इन्होंने बताया कि महादेव को महादेव कोली है मल्हार कोली है ढोर कोली है लेकिन जो मच्छीमार कोली है वह अपने आप को आदिवासी बता रहे हैं, और गलत तरीके से वह अपने आप अपने लिए प्रमाण पत्र हासिल कर रहे हैं, अभी उन्होंने उन्हें जो प्रमाण पत्र इशू किया जा रहा है, वो इसीलिए क्योंकि वह उपोशन पर बैठे थे, अनशन पर बैठे थे और अनशन पर बैठने के बाद सरकार को मजबूर किया, उन्होंने और यह कुछ लोगों को वो प्रमाण पत्र बांट भी रहे हैं, हमारी चेतावनी है सरकार को कि अगर यह इसी तरह इसी तरह चलता रहा तो, आदिवासी समाज अभी शांत नहीं रहेगा।
अभी बहुत हो चुका है क्योंकि अभी आने वाले जो इलेक्शन है, उस इलेक्शन में भी हम सबको इस बात का एहसास कराएंगे कि महाराष्ट्र में जो भी सरकारें हैं, यह आदिवासियों के खिलाफ इनकी नीति चल रही है, फिर वह हमारे आदिवासी समाज के साज जगहो के खिलाफ हो या धनगर समाज आदिवासी समाज में घुसने की कोशिश कर रहा है, वडार समाज भी कोशिश कर रहा है, बंजारा समाज भी कर रहा है, और जो धोबी समाज है वह भी कर रहा है, तो जो कोई भी उठता है उसे लगता है कि हम आदिवासी में ही शामिल हो जाए क्योंकि आदिवासी सस्ता है।
आदिवासी गरीब है आदिवासी अभी भी अज्ञानी है, उसमें अभी भी पढ़े पढ़ाई लिखाई का जो ज्ञान है, वह जितना होना चाहिए था वह नहीं हुआ है, इस 70 75 सालों में आदिवासी समाज की जो उन्नति होनी चाहिए वह नहीं हुई है, इस वजह से उनका आरक्षण उनके सामाजिक शैक्षणिक राजनीतिक आर्थिक अधिकार लोग छिनना चाहते हैं, हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि आदिवासीयों का जो खुद का है, वो तो उसे दे दो उसका उसमें किसी को हिस्सेदारी ना दो, आदिवासी का हिस्सा सिर्फ आदिवासी को ही मिलना चाहिए, हमारे महा मानवों ने जो संघर्ष किया है, उस संघर्ष का हमें हमें एहसास है इसलिए, ये आदिवासी समाज इस तरह से अगर आप अन्याय करते रहोगे तो फिर से एक बार बिरसा का उलगुलान छेड़े और जब बिरसा का उलगुलान छेड़े तो यह जमीन भी तुम्हें पैर रखने के लिए जगह नहीं होगी यही चेतावनी हम देते हैं।
जय सेवा जय बिरसा जय भीम