Melghat Paratwada 27-08-2024 मेलघाट के आदिवासी समाज के सैकड़ों लोग DFO ऑफिस परतवाड़ा पहुंचे, जहां उन्होंने उचित दाम की मांग को लेकर निवेदन दिया। उनका कहना है कि 1979 से 2007 तक उन्होंने मेलघाट के अंदर सागवान की कटाई का काम किया, लेकिन उस समय उन्हें चंद पैसों में काम करना पड़ा।
आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस काम में बिता दी, लेकिन आज तक उन्हें इसका कोई उचित मुआवजा नहीं मिला। दूसरी ओर, आज जो लोग इस काम में लगे हैं, उन्हें लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है।
मेलघाट के इन मेहनतकश लोगों ने बताया कि जिस समय उनके बुजुर्ग पेड़ों की कटाई का काम करते थे, तब न तो बुलडोजर थे और न ही क्रेन। उन्होंने हाथों से बड़े-बड़े पेड़ उठाकर ट्रकों में भरे। लेकिन इस कड़ी मेहनत के बावजूद, उन्हें आज तक उचित दाम नहीं मिला।
आज ये सभी लोग DFO ऑफिस परतवाड़ा पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर गुहार लगाई कि उन्हें भी उनका हक़ मिले। यह निवेदन उन तमाम आदिवासियों के लिए एक आवाज़ है, जिन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा इस जंगल और भूमि के लिए समर्पित किया।
मेलघाट के इन मेहनतकश लोगों की आवाज़ क्या उनके अधिकार दिला पाएगी? यह सवाल आने वाले समय में स्पष्ट हो जाएगा।
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