Nashik 14-08-2024: PESA Act अधिनियम, 1996″ है यह कानून भारत सरकार द्वारा 24 दिसंबर 1996 को पारित किया गया था। इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार प्रदान करना और उन्हें उनके संसाधनों पर नियंत्रण देना है।
नासिक, महाराष्ट्र में चल रहे पैसा आंदोलन की वजह से आदिवासी समाज में भारी आक्रोश छाया हुआ है। आदिवासी समाज के लोग पिछले 15-16 दिनों से बेमुदत आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन सरकार इस आंदोलन को अनदेखा कर रही है। आंदोलन में महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए हैं।
आंदोलनकारियों ने 20 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया है। यदि सरकार तब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो पूरे गांव गांव में चक्का जाम आंदोलन की शुरुआत करने का इशारा दिया गया है। इस आंदोलन के दौरान कुछ नौजवानों की तबीयत भी बिगड़ने की खबरें सामने आ रही हैं।
आदिवासी समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं और सरकार से जल्द से जल्द कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।
आने वाले समय में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और नासिक में चल रहे आदिवासी समाज के आंदोलन का असर चुनाव पर भी पड़ सकता है। आदिवासी समाज की नाराजगी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर सरकार और राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ सकता है।
यदि सरकार आदिवासी समाज की मांगों को नजरअंदाज करती है या उनका समाधान नहीं करती, तो इसका सीधा प्रभाव चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। आदिवासी समुदाय का बड़ा वोट बैंक होने के कारण उनकी नाराजगी राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
इसके अलावा, इस आंदोलन के माध्यम से आदिवासी समाज के मुद्दे और उनकी मांगें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अधिक चर्चा का विषय बन सकते हैं। यह आंदोलन अन्य क्षेत्रों में भी आदिवासी समाज को संगठित कर सकता है, जिससे वे अपने अधिकारों के लिए अधिक संगठित और मुखर हो सकते हैं।
आने वाले चुनावों में यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है, और राजनीतिक दलों को आदिवासी समाज के समर्थन को हासिल करने के लिए उनके मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना पड़ सकता है।
इस समय चल रहे पैसा आंदोलन का परिणाम क्या होगा, यह वाकई देखने वाली बात होगी। आंदोलन की दिशा और इसका असर कई कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे सरकार की प्रतिक्रिया, आंदोलनकारियों की एकजुटता, और जन समर्थन का स्तर।
सरकार की प्रतिक्रिया: यदि सरकार आंदोलनकारियों की मांगों को स्वीकार करती है और तत्काल समाधान के लिए कदम उठाती है, तो यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो सकता है। इससे आदिवासी समाज को उनके अधिकारों के प्रति आश्वासन मिलेगा और उनकी नाराजगी कम हो सकती है।
कुल मिलाकर, इस आंदोलन का परिणाम अभी अनिश्चित है, लेकिन यह निश्चित रूप से आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।